महिलाओं का फैसला करने वाले ये हैं कौन?

महिला आरक्षण बिल के लाइमलाइट में आने के बाद से ही इसपर सियासत गर्म है, साथ ही तरह-तरह के लोगों, संगठनों द्वारा बयानबाज़ी की बयार बह रही है... नया बयान है...शिया धर्म गुरू कल्‍बे जव्‍वाद का... जिन्होंने महिलाओं को अच्‍छे नस्‍ल के बच्‍चे पैदा करने की मशीन बताया है, औरत को उसका फर्ज याद दिलाया है, वो भी खुदा का हवाला देकर... जबकि कोई भी धर्म, धर्मग्रंथ औरत और मर्द के बीच कोई भेदभाव नहीं करता बल्कि हर धर्म के प्रोफेट अपने-अपने सुविधानुसार धर्म की बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं... 
औरत में सृष्टि के सृजन की क्षमता है, और सृजन की क्षमता का दायित्व उसे ही सौंपा जाता है जो ज्यादा सामर्थ्यवान हो, तो भगवान ने तो पहले ही तय कर दिया कि औरत और मर्द में कौन ज्यादा सामर्थ्यवान है...
जहां तक है बच्चा पैदा करने की बात तो जिस तरह से वाक्य का प्रयोग किया गया है...''औरतें राजनीति नहीं बच्चा पैदा करें'' इसपर किसी भी महिला को घोर आपत्ति होगी, क्योंकि हमारा जन्म मनुष्य योनि में हुआ है, जो विवेकशील है... कुत्ते-बिल्ली में नहीं या कीड़े-मकोड़ों में नहीं जो एक ही बार में 8-8 बच्चे पैदा करते हैं और करते ही रहते हैं... और जहां तक बात है अच्छी नस्ल की, तो जहां ऐसे-ऐसे विचारों वाले लोग हैं वहां बच्चों की मानसिकता क्या होगी, वो अपनी मां-बहन और स्त्री जाति को कितना सम्मान देंगे, कितने संवेदनशील होंगे, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है... जहां तक बात है पर्दे की... तो वैसे तो शर्म नजर और व्यवहार में होनी चाहिए लेकिन अगर इसे मान भी लें तो बेनज़ीर भुट्टो, खालिदा जिया और शेख हसीना जैसे उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं...जहां तक बात है बच्चों की देखभाल और परवरिश का तो बच्चे के लिए औरत-मर्द दोनों जिम्मेदार हैं इसलिए उनकी देखभाल और बच्चों से जुड़ी सारी जिम्मेदारियां दोनों को मिलकर उठानी चाहिए... या पुरुष को मान लेना चाहिए कि उसका कोई वास्ता बच्चे से नहीं है और वो कभी उसपर अपना अधिकार नहीं जताएगा...
और इधर बाबाओं की करतूत पर अयोध्या के संत-महंतों का कहना है कि महिलाएं मंदिरों में अकेली न जाएं... बाबाओं को कंट्रोल करने के बजाए वे महिलाओं को सलाह दे रहे हैं... अफसोस होता है मुझे संत-महंत और सभी धर्म के धर्म गुरुओं पर...
वैसे निष्कर्ष यही है कि औरतें अपने अधिकारों को पहचानें और एकजुट हों क्योंकि एकता में बहुत ताकत है और इसे कोई नहीं दबा सकता...

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