'हेडली' या 'हेडेक' ?


भारत के गुनहगार हेडली ने अमेरिका में आखिरकार सारे गुनाह कबूल कर ही लिए.....12 आरोपों में से 6 भारत में हत्या की कोशिश..धमाके करने की साजिश समेत संगीन आरोप थे...सही मायने में हेडली का कबूलनामा अमेरिका की एक सोची समझी साजिश नजर आती है...इस कबूलनामे के बाद न तो हेडली को फांसी होगी और न उसे भारत,पाकिस्तान या डेनमार्क के हवाले किया जाएगा....हेडली को फांसी की सजा न मिलते देख भारत में जैसे राजनीतिक भूकंप सा आ गया और नेताओं में बयान देने की होड़ सी लग गई..सबसे पहले बोले देश की गृह सचिव पिल्लई... जिन्होने कहा कि भारत उम्र कैद से भी कठोर सजा की मांग करेगा......फिर बारी आई चिदंबरम की जो कहते हैं हेडली फांसी न देना अफसोस जनक है.......अब जब सरकार के लोग बोल रहे हैं तो विपक्ष कैसे चुप बैठ सकता है..भाजपा ने कहा कि लश्कर आतंकी को भारत लाया जाए तो कम्यूनिस्ट नेता सीताराम येचुरी बोले की भारत ने अमेरिका के सामने घुटने टेक दिए हैं....आपको मैंने सबके बयान बता दिए..अब मैं इन सबसे पूछना चाहता हूं कि अब तक इस देश में इतने आतंकी हमले हुए..सरकार ने किस को फांसी दे दी..खुद के घर में ये नेता झांकना ही नहीं चाहते...जब-जब अफसल गुरू जो संसद पर हमले का आरोपी है को फांसी देने की बात आती है तो कांग्रेस के ही कुछ नेता इसका विरोध करने लगते हैं..आज तक किसी सरकार ने बुलंद आवाज में ये क्यों नहीं कहा कि अफजल को फांसी देनी चाहिएं.....इतना ही नहीं फांसी की बात आते ही नेता मानव अधिकार का झंडा लिए इसका विरोध करने लगते हैं भले ही अपराध कितना भी संगीन क्यों न हो.....आज फालतू के बयान देने वाले सीता राम येचुरी खुद जरा याद करें कि फांसी के मुद्दे पर उनकी ही पार्टी किस तरह लाल झंडा लेकर अपनी आंखे लाल कर लेती है.. इस देश के नेता मुझे ये बताएं दो साल में कई बार हेडली इस देश में आया है पर खुफिया एजेंसी को भनक तक नहीं लगती...क्या ये इनकी नाकामी नहीं है....हेडली-राणा के पकड़ने में हमारे देश की एजेंसियों का योगदान ही क्या है..शायद कुछ नहीं..हेडली को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया और वो अपने हिसाब से काम कर रहे तो अपनी फजीहत करवा चुके इस देश के नेताओं के तकलीफ क्यों हो रही है..पिछले 10 साल में इस देश में 100 से ज्यादा आतंकी हमले हुए हैं...आज तक हमले में किसी को कठोर सजा नहीं सुनाई गई.....इतनी ही कठोर सजा चाहते हैं ये नेता तो कसाब मामले में चुप क्यों हो जाते हैं..सीधी बात हैं जब बात अपने देश की हो तो कुछ और बयान देना है और जब बात अमेरिका की हो तो कुछ और बयान देना है..इस देश के नेता वोट के लिए कुछ भी कर सकते हैं...आतंकवाद पर जब शिकंजा कसने और देश के गद्दारों को ढ़ढने के लिए मदरसों की तलाशी की बात आती है तो यही कांग्रेस इसे मुस्लिम विरोधी बताती है...जब-जब खुद को धर्म का ठेकेदार समझने वाले हिंदु संगठनों पर शिकंजा कसता है तो भाजपा गुस्सा हो जाती है..अब बताएं मजबूरियों में काम कर रही इस देश की सुरक्षा एजेंसियां क्या करें.....हां लेकिन अगर किसी और देश को कामयाबी मिल गई मुंबई हमले के आरोपी को गिरफ्तार करने में तो अपनी नाकामी को छुपाने के लिए इन नेताओं को बयान देना अच्छे से आता है....पहले सरकार देश की खुफिया एजेंसी को इतना मजबूत करें कि कोई हेडली एक बार देश में आए फिर वापस न जा पाए उसकी पूरी जिंदगी भारत कि ही किसी जेल में कटे... फिर ललचाई निगाहों से किसी दूसरे देश से कोई उम्मीद करे


रोमल भावसार

1 टिप्पणियाँ:

हितेश व्यास ने कहा…

ठीक कहा आपने, भारत हमेशा की तरह बयानबाज़ी करता रह जाएगा और देश का गुनाहगार बच जाएगा...फिर कोई हमला होगा देश के बेगुनाह नागरिक मारे जाएंगे और फिर बयानों का लंबा दौर चलेगा...देश की राजनीतिक पार्टियों और उनके सिपहसालारों के पास और कुछ है भी तो नही करने को...

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