ऐसा लगा है कि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में नोटों की मालाओं का चलन जैसा चल गया है....आज जिस तरह से विरोधियों को मुंह चिढ़ाकर मायावती नेएक बार फिर नोटों की माला पहनी... उसने कई मायनों में सोचने पर मजबूर कर दिया..आज सुबह जब खबरें आना चालू हुई कि मायावती ने यूपी के मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाई है तो माना जा रहा था कि करोड़ों की माला मामले में मायावती किसी पर कार्रवाई कर सकती है.. यानी किसी पर भी गाज गिर सकती है... पर ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि माया ने न केवल दोबारा नोटों की माला पहनी साथ ही बहुजन समाज पार्टी ने ऐलान भी किया कि आगे से भी बहन जी फूलों की नहीं नोटों की ही माला पहनेंगी....नोटों की माला का खेल यही खत्म नहीं हुआ...लोकसभा से निलंबित सासंद एजाज आज जब पटना पहुंचे तो उन्हे भी नोटों की माला पहनाई गई हालांकी यहां दांव थोड़ा उलटा पड़ गया....एक तरफ जेडीयू कार्यकर्ताओं ने एजाज को नोटों की माला पहनाई तो दूसरी तरफ कुछ नेता नोट लूटते रहे....यहां तो आलम ये है कि सांसद महोदय चिलाते रहे औऱ कार्यकर्ता नोट लूटते रहे....जितना ड्रामा नोटों की माला को लेकर है उससे ज्यादा इसकी कीमत को लेकर है...बीएसपी ने कहा पिछली माला 21 लाख की थी..सपा ने कहा दो करोड़ कि इधर कांग्रेस दो कदम आगे बढ़कर इसकी कीमत 22 करोड़ आंकी है...आज तक ये सुना था कि चुनाव में नोटों का इस्तेमाल किया जाता है...पर अब तो नेता खुलकर स्टेज पर नोटों को लेने लगे हैं..क्या नेता लोकतंत्र को बदलकर नोटतंत्र करना चाहते हैं..एक बात औऱ बसपा कि तरफ से एक बयान आया था.. कि ये नोट कार्यकर्ताओं ने भेजे थे जो मायावती को भेट किए गए हैं...एक बड़ा सवाल ये पैदा होता कि पिछली माला में सारे नोट हजार हजार के हैं..साथ ही सभी नोट बिल्कुल नए और सीरिज भी मिलती हैं..तो क्या कार्यकर्तओं ने सिर्फ हज़ार हज़ार के नोट भेट किए थे...दूसरा बड़ा सवाल मायावती जब एक माला पहनकर विवादों में घिर गई थी फिर दोबारा क्यों उन्होने माला पहनकर आग में तेल डालने का काम किया....एक प्रदेश की मुख्यमंत्री विरोधियों को जवाब देने अगर इस तरह का रास्त अपनाए तो क्या संदेश जाएगा जनता में.....माया के दूसरी माला पहनने के कुछ दी देर बाद पटना से खबर आ गई कि एजाज अहमद ने नोटों की माला पहन ली....क्या आपको नहीं लगता इस तरह तो नेताओं में होड़ सी लग जाएगी नोटों की माला पहनने की..खैर जब बात निकली है दूर तलक जाएगी...माया के बाद एजाज ने भी नोटों की माला पहन ली अब अगला नंबर किसका आता...चलिए फिर किसी को नोटों की माला पहनने दिजिए फिर दोबारा मिलूगा आपसे...तब तक मुझे दीजिए इजाजत....नमस्कार
आप से विदा लेने से पहले एक फिल्म का गाना याद आ रहा ...आज की स्थिति पर कितना सही बैठता है आज तय कर लेना पैसा पैसा करती है तू पैसे पर क्यों मरती है...एक बात बता दें तू रब से क्यों नहीं डरती है
रोमल भावसार
समय
कुछ अपनी...
इस ब्लॉग के ज़रिए हम तमाम पत्रकारों ने मिलकर एक ऐसा मंच तैयार करने की कोशिश की है, जो एक सोच... एक विचारधारा... एक नज़रिए का बिंब है। एक ऐसा मंच, जहां ना केवल आवाज़ मुखर होगी, बल्कि कइयों की आवाज़ भी बनेंगे हम। हम ना केवल मुद्दे तलाशेंगे, बल्कि उनकी तह तक जाकर समाधान भी खोजेंगे। आज हर कोई मशगूल है, अपनी बात कहने में... ख़ुद की चर्चा करने में। हम अपनी तो कहेंगे, आपकी भी सुनेंगे... साथ मिलकर।
यहां एक समन्वित कोशिश की गई है, सवालों को उठाने की... मुद्दों की पड़ताल करने की। इस कोशिश में साथ है तमाम पत्रकार साथी... उम्मीद है यहां होने वाला हर विमर्श बेहद ईमानदार, जवाबदेह और तथ्यपरक होगा। हम लगातार सोचते हैं, लगातार लिखते हैं और लगातार कहते हैं... सोचिए, अगर ये सब मिलकर हो तो कितना बेहतर होगा। बिल्कुल यही सोच है, 'सवाल आपका है' के सृजन के पीछे। सुबह से शाम तक हम जाने कितने चेहरों को पढ़ते हैं, कितनी तस्वीरों को गढ़ते हैं, कितने लोगों से रूबरू होते हैं ? लगता है याद नहीं आ रहा ? याद कीजिए, मुद्दों की पड़ताल कीजिए... इसलिए जुटे हैं हम यहां। आख़िर, सवाल आपका है।।
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1 टिप्पणियाँ:
बिलकुल ठीक दलित से ज्यादा अब दौलत से प्यार जो करने लगी है...पर ये जो पब्लिक है ,वो सब जानती है..
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