जिंदगी की किताब


ब्लॉग में लिखना क्या डायरी में लिखने के समान है मैनें खुद से ही पूछा तो जवाब मिला नहीं ..क्योंकि जब बातें लोगों के सामने हों तो पर्दादारी आ ही जाती है....कोई कितना भी सच्चा हो पर अपनी कलई शायद खुद नही उघाड़ेगा....और कोई दूसरा उघाड़े तो उस पर मानहानी जरूर ठोक देगा फिर भला इस ब्लॉग में लिखने और पढ़ने का क्या औचित्य....यही सोच रही थी सोचा चलो बांट लेती हूं ये भी बात शायद मेरी तरह सोचने वालों की भी एक बिरादरी होगी जो साफगोई पसंद होंगे तो उन्हें भी लगेगा कोई हम जैसा सोचता है.... पहले मैं भी हर दिन तो नहीं पर हां किसी-किसी खास दिन फिर वो चाहे अच्छे अहसास वाले हों या फिर बेहद दुख देने वाले पल उन्हें डायरी के कोरे पन्नों पर चस्पा करके थोड़ी राहत जरूर महसूस करती थी....सालों बाद आज उन्हें पढ़कर बड़ा अच्छा लगता है कि वाकई वो अहसास उस समय के थे .....जिसे न लिखती तो आज दोबारा उन्हें कैसे महसूस कर पाती ....चलिए ये सब तो निजी बातें है ब्लॉग में इनका क्या काम....थोड़ी दुनिया की कहें.....आज मैनें हार्ट सर्जन से इंटरव्यू किया बचपन से ही खास महिलाएं मेरे आकर्षण का केंद्र रहीं....आज जब मैनें उनसे बात की तो उनकी सादगी ने वापस मुझे अपने सादे पन पर गर्वित किया ....कितनी खास पर कितनी आम...जिनकी जिंदगी में बाहरी आडंबर को कोई जगह ही नहीं पूरी तरह समर्पित अपने काम के प्रति ....महिला होके टी.वी. पर सुंदर दिखने का कोई आकर्षण नहीं....लोगों को उनकी बातों से क्या संदेश मिला कैसे लोग दिल की बीमारी के लक्षणों को जानकर अपनी ज़िंदगी को बचा सकें इस पर ही उनका ध्यान था.....जिसने मुझे बहुत दिन पहले पढ़े  शिवानी के उपन्यास की याद दिला दी ....लगा जैसे वो शिवानी के उपन्यास की जीवंत पात्र मेरे सामने बैठी है...उन्होंने कहा कोई भी काम लड़की या लड़कों का नही होता जिसमें योग्यता है वो उस काम के काबिल होता है....हर शर्त पूरी करके आगे बढ़ के यश कमाने वाली महिलाएं कितनी छोटी लग रहीं थी मुझे उनके सामने......आज उनसे मिल कर प्रोग्राम करना केवल अपनी ड्यूटी पूरा करना  नहीं था पर अपने आप को और करीब से जानना था ...उनकी बातों ने मुझे एक बार फिर अपने आप पर नाज करने का मौका दिया .....

1 टिप्पणियाँ:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

अरे जिनका इन्‍टरव्‍यू लिया था उनके बारे में थोडा सा और बताया होता तो अच्‍छा लगता।

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