समय
कुछ अपनी...
इस ब्लॉग के ज़रिए हम तमाम पत्रकारों ने मिलकर एक ऐसा मंच तैयार करने की कोशिश की है, जो एक सोच... एक विचारधारा... एक नज़रिए का बिंब है। एक ऐसा मंच, जहां ना केवल आवाज़ मुखर होगी, बल्कि कइयों की आवाज़ भी बनेंगे हम। हम ना केवल मुद्दे तलाशेंगे, बल्कि उनकी तह तक जाकर समाधान भी खोजेंगे। आज हर कोई मशगूल है, अपनी बात कहने में... ख़ुद की चर्चा करने में। हम अपनी तो कहेंगे, आपकी भी सुनेंगे... साथ मिलकर।
यहां एक समन्वित कोशिश की गई है, सवालों को उठाने की... मुद्दों की पड़ताल करने की। इस कोशिश में साथ है तमाम पत्रकार साथी... उम्मीद है यहां होने वाला हर विमर्श बेहद ईमानदार, जवाबदेह और तथ्यपरक होगा। हम लगातार सोचते हैं, लगातार लिखते हैं और लगातार कहते हैं... सोचिए, अगर ये सब मिलकर हो तो कितना बेहतर होगा। बिल्कुल यही सोच है, 'सवाल आपका है' के सृजन के पीछे। सुबह से शाम तक हम जाने कितने चेहरों को पढ़ते हैं, कितनी तस्वीरों को गढ़ते हैं, कितने लोगों से रूबरू होते हैं ? लगता है याद नहीं आ रहा ? याद कीजिए, मुद्दों की पड़ताल कीजिए... इसलिए जुटे हैं हम यहां। आख़िर, सवाल आपका है।।
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ऐसी आजादी और कहां ?
प्रस्तुतकर्ता
बेनामी
on रविवार, 15 अगस्त 2010
आज फिर राष्ट्र गीतों की धुन अचाकन सुबह-सुबह सुनाई दी.....लाउड स्पीकर में जोर-जोर से देशभक्ति के गाने बज रहे थे...मैंने सोचा कि किसी राजनीतिक दल की रैली होगी...हो सकता है कोई बड़ा नेता आ रहा हो जिसे सुनाने देशभक्ति के गीत बज रहे हैं... वैसे तो अधिकतर ऑल इज वेल, इलू-इलू, चुम्मा-चुम्मा या डांस पर चांस मार ले जैसे ही गाने पान की दुकाने पर सुनाई देते हैं... घर से निकला तो देखा कि रास्ते में बच्चे तैयार हो कर स्कूल जा रहे हैं सड़क किनारे 1 रुपए में देश का तिरंगा भी बिक रहा है... इतना सब देखकर समझने में देर नहीं लगी की आज 15 अगस्त है... यानि हमारी आजादी की सालगिरह.... खैर एक बात है हिन्दुस्तान जैसी आजादी कहीं नहीं है... यहां केंद्र से राज्य सरकार तक पॉलीथिन पर रोक लगाने की बातें करते हैं पर मैं आज टीवी पर देख रहा कि जब लाल किले पर प्रधानमंत्री तिरंगा झंडा फहरा रहे थे... उस समय सैकड़ों स्कूली बच्चे हाथ में पॉलीथिन से बने तिरंगे झंडे लिए हुए बैठे थे... यही हाल पूरे देश का है पॉलीथिन से बने तिरंगे झंडे आज के दिन हर बच्चे के हाथ में होते हैं,.. अरे हम आजाद हैं जो चाहें वो करें... इस देश के लोगों को खुली आजादी है वो सड़क किनारे कहीं भी मूत्रालय बना सकते हैं... और अगर किसी एक ने ऐसा कर दिया तो फिर तो लोगों की लाइन लग जाती है... और मान लो अगर वहां ये लिख दिया गया कि यहां पेशाब करना मना है... तो फिर तो जैसे लोगों को लाइसेंस मिल जाता है... उसी जगह गंदगी फैलाने का... इस देश की आजादी के कई उदहारण हैं... यहां जिस नेता को जो बोलना होता है बोलता है... राजनीति की हर मर्यादा को ताक पर रखकर सार्वजनिक बयानबाजी की जाती है... यहां तक की देश के प्रधानमंत्री को नामर्द तक कह दिया जाता है... और एक पार्टी के नेता तो बार-बार पीएम की तुलना जानवारों से करते हैं... अरे भाई हम आजाद हैं जो चाहे करें... महानगरों में बैठकर आजादी बहुत अच्छी लगती है पर छोटे शहरों में तो आजादी कुछ ज्यादा ही है... गांवों में छुटभैया नेता थाने में थानेदार को चपरासी समझता है... क्योंकि वो आजाद है... दिल्ली में भ्रष्टाचारी कॉमनवेल्थ का कबाड़ा कर देते है क्यों भी वो आजाद हैं... भोपाल गैस कांड के सालों बाद भी इसके आरोपियों को मामूली सजा मिलती है... और वो जेल भी नहीं जाते उन्हें तुरंत जमानत दे दी जाती है... और वो आजाद घूमते रहते हैं... एंडरसन अमेरिका में आजाद है और उसे भगाने वाले अर्जुन सिंह भारत में...नोएडा की आरुषि को किसने मारा CBI आज तक पतना नहीं लगा पाई... और हत्यारे आजाद हैं... रुचिका की मौत के जिम्मेदार हरियाणा के पूर्व डीजीपी भी आजाद हैं... जिन्होंने आयोध्या के नाम पर देश में दंगे करा दिए... उन सब पर सालों से केस चल रहा है... पर वो आजाद हैं... 1984 में सिखों को चुन-चुन कर मारने वाले एक पार्टी के किसी नेता को आज तक सजा नहीं हुई... ये सब भी आजाद हैं... इक्ट्रोनिक चैनल के मन में जो आता है दिखाया जाता है... खुले आम अश्लीलता परोसी जा रही है... विवेका बाबाजी की मौत... धोनी की शादी... सानिया के निकाह की खबर को नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों से ज्यादा तबज्जो दी जा रही है... क्योंकि ये चैनल आजाद हैं... टीआरपी की लड़ाई लड़ने... हमारी आपकी मेहनत की कमाई के पैसे से चलने वाली संसद को विपक्ष नहीं चलने देता क्योंकि वो आजाद हैं... बढ़ती महंगाई... नक्सली हमले... आतंकवाद का केंद्र सरकार के पास कोई जवाब नहीं है... क्योंकि वो आजाद है... और इस देश का सच्चा नागरिक हर पल घुट-घुटकर मर रहा... न किसी से कुछ कहता और ना कुछ करता... क्योंकि समय का मारा इस देश का ये आम नागरिक भी आजाद है... आजाद देश की ऐसी जिंदगी जीने... बिना सिफारिश के नौकरी नहीं मिलती... और बिना चम्मचागिरी के तरक्की नहीं होती... साधु-संतों के सैक्स स्कैंडल बन गए... महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों का यौन शोषण हो गया... देश के आर्दश अब फिल्मी सितारे हो गए... पीपीली लाइव के गाने के साथ महंगाई याद आने लगी... सोने की चिड़िया कहलाने वाले इस देश से सोना तो पता नहीं कब का गायब हो गया... अब तो चिड़िया भी नहीं बची... यकीनन ऐसी आजादी और कहां....
रोमाल भावसार
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2 टिप्पणियाँ:
सच में!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
excellent
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