Vacuum मतलब 'बाप की ट्रेन'... सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा है न? आप और हम इससे पहले यही जानते थे न कि Vacuum (वैक्युम) का हिंदी होता है निर्वात, जहां कुछ भी नहीं हो। निर्वात की स्थिति में गैसीय दाब, वायुमंडलीय दाब की तुलना में न के बराबर होता है। लेकिन वैक्युम का ये मतलब भी सही है, सोच में पड़ गए न! चलिए जनाब दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालिए, सस्पेंस यहीं खत्म करता हूं और बतात हूं कि कैसे होता है वैक्युम मतलब 'बाप की ट्रेन'।
बिहार के कई हिस्सों खास कर जमुई से बख्तियारपुर और गया-जहानाबाद रूट के बच्चे से लेकर बूढे तक कमोबेश वैक्युम का यही मतलब जानते हैं। इनमें से कई लोगों ने तो स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है और ना ही अंग्रेजी का A B C ही जानते हैं... लेकिन Vacuum मतलब बखुबी समझते हैं हां ये दीगर बात है कि इसका मतलब उनके लिए थोड़ा जुदा है। इनमें से कई लोग तो काफी पढ़े लिखे भी हैं लेकिन वो भी किताबों में लिखे अर्थ को भूल गए हैं और नए अर्थ को अपना लिया है। हां उच्चारण थोड़ा अपभ्रंशित होकर वैक्युम से वैकम हो गया है। अब नहीं समझे आप...?
अजी इन लोगों के लिए ट्रेन किसी टॉय ट्रेन जैसी चिज है... जहां मन चाहे रोक लो.... गाड़ी चाहे कोई भी हो लोकल, एक्सप्रेस, मेल या सुपरफास्ट लेकिन इन रूटों पर ये चलती है बैलगाड़ी सरीखी। कोई हॉल्ट आया और ट्रेन के वैक्युम सिस्टम में छेड़छाड़ कर गाड़ी को रोक देना इनके लिए बच्चों के खेल जैसा है। ड्राइवर करे भी तो क्या... और मजाल है जो ट्रेन में सवार स्क्वॉड इनके खिलाफ कोई एक्शन ले ले! चाहे तो इनकी मनमानी सहो या फिर कभी किसी ने रोकने की हिमाकत की तो बस मत पुछो... अगले ही दिन तोड़फोड़ और न जाने कितना फसाद! पहले तो ऐसे लोग जबरदस्ती आरक्षित कोचों में घुस आते हैं फिर आपके ही बर्थ पर टांग फैलाकर कहेंगे एमएसटी हैं रोज का आनाजाना है थोड़ी देर चलेंगे...और दिन में बर्थ पर सोना कैसा....(एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी) ऐसे ऐसे महानुभाव हर स्टेशन पर इतने आएंगे की आपका सफर यूं ही बतियाते-गपियाते कट जाएगा। इनहीं में से चंद लोग दो डब्बों को जोड़ने वाली जगहों पर बैठते हैं ताकि ट्रेन के वैक्युम पाइप से छेड़छाड़ कर ट्रेन को रोका जा सके।
इन लोगों की हरकत से उन्हें थोड़ा फायदा होता है और वे थोड़ी जल्दी घर पहुंच जाते हैं, लेकिन उनकी ऐसी हरकतों से रेलवे को तो नुकसान होता ही है साथ ही उसका खामियाजा हजारों मुसाफिरों को भी भुगतना पड़ता है। खैर उन्हें क्या उनके लिए तो एक ही आदर्श वाक्य है कि 'दुनिया जाए तेल लेने, ऐश तू कर'।
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