‘’मीडिया...यारों चीज बड़ी है कमाल
यहां बिछा है हर तरफ
संपादक रहते हैं हमेशा बेहालउन्हें रहता है अक्सर खबरों का ही मलाल
सुबह-शाम, उठते-बैठते हर वक्त
उन्हें आते हैं खबरों के ही सपने
जितनी भी खबरें दो उनके आगे परस
एक बार में जाते हैं वो गटक
थोड़ी देर में खबरें हो जाती है...हजम
और फिर से करते हैं...खबरों का ही महाजाप
पत्रकार करते हैं खबरों का पोस्टमार्टम
ऐंकर करते हैं पोस्टमर्टम रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार’’
और हर मीडिया हाउस की है ऐसी ही सरकार''
नोट: इस कविता के सभी पात्र काल्पनिक हैं...इसका किसी व्यक्ति विशेष से कोई सरोकार नहीं...ये मात्र भावों की अभिव्यक्ति है..अतः इसका गलत अर्थ न लगाएं
1 टिप्पणियाँ:
बहुत खूब
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