क्या नाम दूं?

इस जिंदगी को...
मैं क्या नाम दूं...?

कभी धूप कहूं कभी छांव कहूं
कभी सैलाबों का नाम मैं दूं

कभी शोर कहूं...कभी मौन कहूं
कभी खामोशी का जाम कहूं....



कभी गम की शाम कहूं
तो कभी इठलाती मुस्कान कहूं



कभी खुशियों का पैगाम कहूं
या जीवन का संग्राम कहूं!

3 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari ने कहा…

कभी गम की शाम कहूं
तो कभी इठलाती मुस्कान कहूं

-दिव्य प्रकाश दुबे की कविता ’क्या लिखूँ’ याद आ गई...सुनना जरुर..बहुत उम्दा रचना है:

http://www.youtube.com/watch?v=oIv1N9Wg_Kg

Madhu chaurasia, journalist ने कहा…

हां सर मैंने पढ़ी हैं....बेहद अच्छी कविता है...
मार्ग-दर्शन के लिए तहे-दिल से शुक्रिया

कौशल तिवारी 'मयूख' ने कहा…

sundar

एक टिप्पणी भेजें