मौत को दावत!

नक्सल प्रभावित जिलों के वाशिदें खौफ में जी रहे हैं तो बगैर संसाधनों के जवान वैसे इलाकों में बेमौत मरने को मजबूर हैं। नक्सली कभी भी कहीं भी कायराना हरकत को अंजाम देते हैं और हमारे खुफिया तंत्र को नेताओं के इशारों पर उनके प्रतिद्वंदियों की बखिया उधेड़ने से फुर्सत नहीं है। शनिवार को बिहार के तीन जिलों में नक्सलियों ने हमला किया तो छत्तीसगढ़ के बीजापुर में धमाका कर 8 जवानों की जान ले ली। इस वारदात में दो आम नागरिक भी घायल हुए हैं।
नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बारूदी सुरंग विस्फोट कर सीआरपीएफ के वाहन के परखच्चे उड़ दिए, इस घटना में 8 जवान शहीद हो गए और दो आम नागरिक भी घायल हुए हैं। सीआरपीएफ के 168वीं बटालियन के जवान बंकर वाहन में सवार होकर बासागुड़ा आवापल्ली से बीजापुर जिला मुख्यालय रवाना हुए थे और पेद्दाकोडेपाल गांव के पास पहुंचने पर नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया। बताया जा रहा है कि इसके बाद नक्सलियों ने घायल जवानों पर फायरिंग भी की। उधर, बिहार के सीतामढ़ी में पुलिस कैंप पर हमला कर पुलिस जीप में आग लगा दी और पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर उत्पात मचाया। वैशाली में भी उन्होंने एक ट्रक फूंक कर दहशत फैलाने की कोशिश की। इसके अलावा कटिहार के पास केन बम के विस्फोट से रेलवे ट्रैक उड़ा दिया। इस घटना से करीब 6 मिनट पहले पहले नार्थ इस्ट एक्सप्रेस गुजरी थी, जिसमें बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पथ निर्माण मंत्री प्रेम कुमार थे। यूं कह लें कि शायद नक्सलियों का निशाना वही थे और किसी चूक की वजह से वो बाल बाल बच गए।
जिन इलाकों में पग-पग पर मौत बिछी हो, हर जंगल नक्सलियों की मौजूदगी की वजह से किसी दोजख से कम नहीं हो, वैसे इलाकों में बिना पर्याप्त सुविधा और संसाधनों के अभाव में केवल हौसले से नहीं लड़ा जा सकता। जवानों को इन इलाकों में अत्याधुनिक हथियारों, इलाके की हर भौगोलिक जानकारी और खुफिया तंत्र की सूचनाओं के बगैर भेजना मौत को दावत देने से कम नहीं है। एसी चैंबर में बैठकर योजनाएं बनाने वाले जाने ये कम समझेंगें और तब तक शायद हम इसी तरह शहीदों की संख्या गिनते रहेंगे।
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