गुरुजी का क्या होगा!

आखिरकार पिछले 28 दिनों से चल झारखंड का हाई वोल्टेड ड्रामा खत्म हो गया ...और भाजपा ने अपने सहयोगी गुरुजी को तलाक दिया है...अरे भाई समर्थन वापसी को तलाक तो कह ही सकते हैं...तलाक के पहले भी तो इसीतरह के झगड़े...फिर प्यार और मान मनौव्वल होता है...सौदेबादी भी होती है...लेकिन गुरुजी को न तो मानमनौव्वल पसंद आया...न ही उन्होंने भाजपा के साथ सौदेबाजी ही...करें भी क्यो उन्हें तो सिर्फ गद्दी की फिक्र है...और भाजपा समर्थन तो दे रही थी...गद्दी नहीं...अब गद्दी का सुख तो हमारे गुरुजी से छोड़े नहीं छोड़ता...फिर फिक्र किसे है...अल्पमत में आ गई सरकार तो क्या....झारखंड में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा...और दोबारा से चुनाव कराए जाएंगे....और शायद गुरुजी को ज़िद इस नए नवेले राज्य को एक बार फिर चुनाव में झोंक भी दे...लेकिन चुनाव न तो चुनाव दूसरी पार्टियां चाहती है...न ही जनता जनार्दन...लेकिन भईया अपने गुरुजी को इनसब से कोई वास्ता नहीं...उन्हें तो सत्ता चाहिए... मुख्यमंत्री का ताज...अपने सिर या अपने बेटे के सिर...इसके लिए फिर जनता के करोड़ों रुपए बर्बाद है...समय बर्बाद हो तो हो...स्वार्थ की राजनीति खेलने वाले सोरेन के विचार तो इनसब से परे है...लेकिन गुरुजी आप क्या सोचते हैं...जब पिछली बार जनता ने नहीं दिया तो इसबार बहुमत दे देगी...जनता को बार-बार चुनाव में ढकलने और आम आदमी वित्तीय बोझ डालने के साथ-साथ विकास में पीछे ढकलने की एवज में आपको जनता झारखंड की सत्ता का ताज शायद ही पहनाए...चुनाव के बाद नए सिरे से सियासी गठजोड़ होगा...और फिर सत्ता के मैदान में आपकी मोहरें सही चल पाएगी...या फिर आप विपक्ष में बैठने का तथाकथित सुख हासिल करेंगे कहना मुश्किल है...अब क्या हुआ पक्ष में न सही...विपक्ष में सही...खैर गुरुजी इससे तो अच्छा होता कि...आप भाजपा का समर्थन ले लेते...सरकार भी रह जाती रोटेशन सिस्टम के आधार पर छह महीने बाद सत्ता भी मिल जाती...लेकिन छह महीने भी गद्दी छोड़ने का गम आप झेल नहीं पाए... तलाक आपको ज्यादा भाया...इन दांवपेंचों के बीच में जरा ये तो सोचिए...अगले चुनाव में जनता ने आपको अपने तरह से जवाब दे दिया तो...आपका क्या होगा...वैसे भी जनता तो जनार्दन है...जिसे चाहे इन कर दे...और जिसे चाहे आउट...और लगता है मेरी तरह झारखंड की जनता के मन में भी जरुर सवाल उमड़ घुमड़ रहे होंगे...गुरुजी का क्या होगा!

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