भोपाल तब भी रोया..भोपाल अब भी रो रहा है



आज कल हर खबरिया चैनल भोपाल गैस कांड की परते खोलने में लगा हुआ है....25 साल बाद ही सही चलो एक-एक करके इन सबकी नींद तो खुली...अब एक-एक रहस्य से पर्दा उठ रहा...हम भी एक खबरिया चैनल में काम करते हैं तो हम भी लगे हुए बाल की खाल पटाने में...लेकिन पूरे मामले को आज की निगाहों से भी देखें को कई सवाल खड़े होते हैं...7 जून को जब भोपाल गैस कांड मामले में अदालत फैसला सुनाया उसके बाद के एक-एक घटनाक्रम को गौर से देखिए....सबसे पहले 8 जून को मीडिया के सामने आए सीबीआई के तत्कालीन अधिकारी बी लाल....जिनने खुलासा किया कि उन्हे विदेश मंत्रालय ने एंडरसन के खिलाफ कार्रवाई न करने के निर्देश दिए थे...यहां जरा गौर करिए...1984 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और विदेश मंत्रालय उन्होने अपने पास रख रखा था....तो क्या ये माना जाए कि राजीव गांधी की  तरफ से कार्रवाई न करने के निर्देश दिए गए थे....अब न तो राजीव गांधी जिंदा है और न ही 1984 की सरकार में गृह मंत्री रहे नरसिम्हा राव जो इस सवाल का जवाब दें....सीबीआई अधिकारी बी लाल के बाद मीडिया के सामने आए 1984 में कलेक्टर रहे मोती सिंह....मोती सिंह के मुताबिक उन्हे मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने एंडरसन को सुरक्षित एयरपोर्ट तक पहुंचाने के निर्देश दिए थे...इधर एक फोन कॉल की बात भी बार बार बीच में आ रही है..ऐसा कहा जा रहा है कि अर्जुन सिंह के पास एक फोन आया था जिसके बाद उन्होने एंडरसन को सरकारी विमान से भोपाल से दिल्ली पहुंचाने के आदेश दिए थे...यहां भी एक सवाल पैदा होता है.....कि आखिर वो फोन कॉल किसका था जिसको अर्जुन सिंह मना नहीं कर पाए....जहां तक मेरे पत्रकारिता के अनुभव की बात तो एक मुख्यमंत्री तब ही इतना बेबस हो सकता है जब या तो उसकी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष उसे फोन करे या फिर देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति...यहां भी एक चीज गौर करने वाली है....7 दिसंबर 1984 को देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और कांग्रेस के अध्यक्ष भी.....तो क्या यहां भी वही संकेत मिल रहे हैं कि फोन राजीव गांधी की तरफ से किया गया था....1984 में ही इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी....यानी अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या की गई..कुछ ही दिनों बाद राजीव गांधी की ताजपोशी कर दी और 2-3 दिसंबर के बीच की दरमियानी रात में भोपाल में ये गैस कांड हो गया...यानी जब ये गैस कांड हुआ तब एक प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक राजनेता के रुप में राजीव गांधी को सिर्फ एक महीने का अनुभव था...मां की हत्या के बाद सीधे भारतीय राजनीति में आए राजीव गांधी क्या इस कम अनुभव के कारण निर्णय नहीं ले पाए...खैर यहां भी सवाल वही है....कि क्या फोन कॉल राजीव जी ने कराया था......खैर सवाल का जवाब सिर्फ राजीव गांधी ही दे सकते हैं जो अब इस दुनिया में नहीं है.....पर या तो एंडरसन या फिर अर्जुन सिंह ही बता सकते हैं कि दिल्ली में बैठा वो कौन सा शख्स था जिसने हजारों लोगों के हत्ये को vip तरीके से भोपाल ने निकाल दिया...इधर पूरे कहानी में एक किरदार और है...वो हैं उस विमान के पायलट अली जो एंडरसन को भोपाल से दिल्ली छोड़कर आए थे....अली की माने तो एविएशन डायरेक्टर ने उन्हे निर्देश दिया था कि वो प्रदेश सरकार के विमान से एंडरसन को दिल्ली ले जाए....यहां भी वही सवाल ऐसा कौन व्यक्ति है जिसके आगे एविएशन डायरेक्टर को भी झुकना पड़ा...खैर वो फोन किसी का भी हो लेकिन इन सब बातों ने पूरे हिंदुस्तान को सोचने पर मजबूर कर दिया...भोपाल 25 साल पहले तब रोया जब उसके साथ कुदरत ये वो किया जिससे झीलों की नगरी में लाशें बिछ गई.....और यही भोपाल आज फिर रो रहा है क्यों कि उसके साथ गद्दारी कि उन लोगों ने जिन पर शायद उन्हे सबसे ज्यादा भरोसा था....आज cbi अधिकारी बी लाल,, तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह, पायलट अली सब एक-एक सामने आ गए...पर बड़ा सवाल कहां थे ये सब पिछले 25 साल से जब भोपाल पल-पल दर्द को सह रहा था...कहां थे ये लोग जब धारा 304(a) के तहत भोपाल गैस कांड के केस को दर्ज कर दिया गया....खैर उस फोन कॉल को किसी ने किया हो राजीव गांधी ने या फिर किसी औऱ पर भोपाल की झीलों में जितना पानी है उससे ज्यादा भोपाल के लोग रो चुके हैं...अब सजा किसी को मिले या न मिले भोपाल को इंसाफ मिलने की उम्मीद बहुत कम है


रोमल भावसार

2 टिप्पणियाँ:

दिलीप ने कहा…

insaaf ki ummedd ab bharat me dhundhli ho gayi hai...jaane aage kya kya hoga...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अब तक इन्साफ नहीं मिला तो अब क्या मिलेगा ?

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