अब कानून में देर भी है और अंधेर भी !

2 और 3 दिसंबर 1984 की वो मध्य रात जिसने पल भर में हजारों लोगों की जिंदगी छीन ली....गैस रिसाव के कारण देखते ही देखते लाशों में तब्दील हो गई थी झीलों की नगरी भोपाल......पूरे भोपाल के अस्पतालों में जितने बिस्तर थे उससे 10 गुना ज्यादा लाशें सड़कों पर पड़ी थी....हर तरफ चीख पुकार सुनाई दे रही थे.....हर मोहल्ल.....हर गली रो रही थी..........लाशों के ढेर के कारण सड़के जाम हो गई थी....अंधेरी रात में एक बाद एक मौत जिंदगी से जीतती जा रही थी...हर चेहरा मानो ये कह रहा हो कि बस कुछ पल की जिंदगी बाकी है और फिर यमराज उसे ले जाने आ रहे हैं.....एक-एक करके लोग मरते रहे....सरकारी आकड़ा बताता है कि इस रात 35 हजार लोगों ने जान गवाई पर हकीकत ये कि कई शव इतने गल गए थे उन्हे वही दफना दिया गया.....आज 25 साल बाद गैसकाड़ मामले का फैसला आ गया..भोपाल की CJM अदालत ने दोषियों को 2-2 साल की सजा सुनाई है.....अब इसको क्या कहे...न्यायपालिका पर हम उंगली उठा नहीं सकते औऱ न ही उठाना चाहते  हैं ....पर एक सवाल जरूर खड़ा करना चाहेंगे कि अखिर देर से हुए फैसले औऱ कम सजा के पीछे कारण क्या है......दरअसल जब नींव ही गलत रख दी गई हो तो इमारत को गलत खड़ी होगी ही....25 साल पहले हुए इस हादसे  की जांच CBI को सौंपी गई.....सबसे पहला सवाल तो ये कि CBI ने आखिर किस आधार पर इस मामले को 304 (A) में दर्ज किया....304 (A) मतलब गैर इरादन हत्या....इर धारा में दो साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान ही नहीं है.....304 (A) में सजा का ऐलान भले ही 25 दिन के बाद हो या 25 साल के इसमे 2 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती......आखिर वो क्या कारण रहे होंगे की CBI ने 35 हजार लोगों की मौत को गैर इरादन हत्या का मामला माना....अब इस मामले को लापरवाही के कारण हत्या के रुप में भी दर्ज किया जाता तो सजा पांच से सात साल की हो सकती थी...अदालत ने जो फैसला आज सुनाया वो उस केस डायरी और चार्जशीट के आधार पर सुनाया  जिसे CBI ने कोर्ट में पेश किया.....पर क्या  इस देश की सबसे बड़ी औऱ निकंमी जांच एजेंसी CBI  जो आरुषि हत्या कांड समेत कई मामलों को अब तक नहीं सुलझा पाई से सवाल नहीं किया जाना चाहिए...कि 304(A)  के तहत मामला बनाने के पीछे कोई और कारण था या रानीतिक मजबूरी.....और फिर बार बार केस की सुनवाई में देरी...आज भोपाल में 35 हजार लोगों के हत्यारों को 2 साल की  सजा सुना दी गई.....कह सकते हैं कि 25 साल बाद गैस पीड़ितों को इंसाफ मिल गया.....पर उनको इस फैसले से कितना सुकून मिलेगा कह पाना मुश्किल है

रोमल भावासार

1 टिप्पणियाँ:

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut badi dariya dili he

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