सब महंगा है बस जिंदगी सस्ती है ?


पिछले कुछ दिनों से बार बार कुछ ऐसा होता रहा कि मुझे एक बार ये सोचना पड़ा कि क्या मैं पत्रकार हूं ? औऱ अगर हां तो  इंसान नहीं..मेरे लिए आज सब महंगा है बस जिंदगी सस्ती..न्यूज चैनल के न्यूज रूम में बैठकर हम तरह वक्त लाशों से खेलते हैं... इस पर कई दिनों से मैं सोच रहा था...जैसे मान लो कहीं कोई दुर्घटना हो गई और मेरे पास खबर आई कि बस और कार में टक्कर हो गई है हादसे में 1 की मौत गई औऱ कई घायल है.... तो मेरे लिए ये कोई खबर नहीं होती.....पर अगर मान लो हादसे में 5 मर गए तो ये खबर है.....,लेकिन अगर मरने वालों की संख्या 20 हो गई तो ये मेरे लिए बहुत बड़ी खबर बन जाती और अगर 50 ने जान गवांई है तो फिर मेरे लिए ये ब्रेकिंग न्यूज है.......ऐसा लगभग हर हफ्ते होता है मैं लाशों पर बैठकर पत्रकारिता करता हूं...इसी तरह मान लिजिए किसी ने किसी की हत्या कर दी तो आम बात है..... पर अगर दोस्त ने दोस्त की हत्या कर दी तो ये खबर बन जाती है..... इससे एक कदम आगे अगर भाई ने बहन की हत्या की हो तो ये बड़ी खबर होती है.... औऱ अगर किसी पिता ने बीबी समेते पूरे परिवार की हत्या कर दी हो तो ये ब्रेकिंग न्यूज होती है.......पत्रकारिता के हर कदम पर मेरा सामना लाशों से होता है.....अगर मेरे घर में एक मौत हो जाती तो मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती कि उस खबर पर यकीन करू... पर पत्रकारिता की आड़ में मेरे लिए जितनी लाशे होती हैं उतना ही ज्यादा वो खबर बिकाउ होती है...  तो अब आप बताएं मैं या तो पत्रकार हो सकता हूं या इंसान....संभव ही नहीं कि दोनों रहूं.....इसी तरह किसी की शादी हो तो खबर नहीं बनती पर... अगर शादी राखी सांवत की हो तो ये खबर होती है... इससे आगे अगर शादी राहुल महाजन की हो तो बड़ी खबर  है...पर इससे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि अगर शादी न हो पाए और सानिया की सगाई टूट जाए तो ये होती है ब्रेकिंग न्यूज...और अगर टूटने के बाद दोबारा सानिया की शादी पाकिस्तानी खिलाड़ी से तय हो जाए तो बिग ब्रेकिंग न्यूज....कुल मिलाकर बनते बिगड़ते रिश्तों पर खबरे बनती हैं और बिगड़ती हैं.....पर बड़ा सवाल ये पैदा होता है कि क्या इन सब के बीच हम अपनी मुख्य समस्याएं भूल रहे हैं क्या..आज चीनी महंगी है...सब्जी महंगी है पर खबरों के लिए जिंदगी सस्ती है....आज चौतरफा सानिया की बात हो रही है....मोदी की बात हो रही है....अमर-अमिताभ की भी बात हो रही है पर महंगाई का मुद्दा कहीं दब सा गया है..सानिया-शोएब की शादी हो या न हो....मोदी दोषी करार दिए जाए या नहीं..अमर-अमिताभ और कांग्रेस में दोस्ती हो या दुश्मनी आप मुझे ये बताईए इससे देश को क्या फायदा होगा..महंगाई वही है..वेरोजगारी कम नहीं हो रहीं..आज भी कई मां वाप इस उम्मीद में रात को सोते हैं कि सुबह उनका बेटा कुछ पैसा पुहंचाएंगा तो घर का राशन लाएंगे..पर बेटा मुंबई में पिट रहा है क्यों कि वो उत्तरभारतीय है उसे न नौकरी मिल रही और कोई उसे परीक्षा दे रहा...कुपोषण से  बच्चे मर रहे हैं और मैं एक पत्रकार के नाते सानिया...मोदी..अमिताभ....अमर जैसी चीजों के एहमियत देता हूं.....तो सवाल यही पैदा होता है क्या मैं पत्रकार हूं अगर हां तो इंसान नहीं...

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