बच्चों के दुश्मन

बहुत दुःख हुआ ये सुनकर कि बिहार के जमुई में हुए नक्सली हमलों में बच्चों का इस्तेमाल किया गया है... कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं तो क्या हमारा भविष्य ऐसा है? दोष किसका है... व्यवस्था का, माता-पिता का या खुद हमारा... बहुत बड़ा सवाल है ये... माता-पिता समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे अपने नौनिहालों को किस गर्त में पहुंचा रहे हैं... और अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अपने बच्चों का कितना गलत इस्तेमाल कर रहे हैं... आप सोच रहे होंगे कि मैं मां-बाप को दोषी क्यूं बता रही हूं... वो इसलिए क्योंकि हर मां-बाप को ये मालूम होता है कि उसका बच्चा कहां जा रहा है, क्या कर रहा है... किस तरह की शिक्षा प्राप्त कर रहा है... क्योंकि बड़े लड़के-लड़कियों को कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल है... लेकिन बच्चों के मामले में उनकी हर हरकत के लिए मां-बाप पूर्णतः जिम्मेदार होते हैं... इस केस में भी ट्रेनिंग के लिए भेजने वाले मां-बाप ही हैं.... या हो सकता है कि बच्चों में बहुत सारे नक्सलियों के ही बच्चे हों... जो अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने ही बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद कर रहे हैं...
मुझे तो लगता है कि आज नक्सली अपने उद्देश्य से ही भटक गए हैं... क्योंकि उनकी लड़ाई शासन से थी... लेकिन वे आम लोगों के दुश्मन नहीं थे... लेकिन अब शासन पर दबाव बनाने के लिए वे मासूम लोगों को निशाना बना रहे हैं... स्कूल-कॉलेज जला रहे हैं... जबकि स्कूल-कॉलेज, अस्पताल उनके और उनके परिवार के लिए भी हैं.... जहां बच्चों को देश के सकारात्मक विकास में योगदान देने वाला बनाना चाहिए वहां नक्सली इन्हें बम और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं... वो भी किसी दुश्मन को मारने के लिए नहीं बल्कि अपना ही घर उजाड़ने के लिए... काश कि अपनी इस योग्यता का उपयोग ये देश की सीमा पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए करते... ख़ैर सरकार को नक्सलियों पर और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि देश आंतरिक आतंकवादियों से मुक्त हो सके.... देश का नमक खाकर उससे गद्दारी करने वाले नक्सलियों से मुक्त हो सके...

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