समय
कुछ अपनी...
इस ब्लॉग के ज़रिए हम तमाम पत्रकारों ने मिलकर एक ऐसा मंच तैयार करने की कोशिश की है, जो एक सोच... एक विचारधारा... एक नज़रिए का बिंब है। एक ऐसा मंच, जहां ना केवल आवाज़ मुखर होगी, बल्कि कइयों की आवाज़ भी बनेंगे हम। हम ना केवल मुद्दे तलाशेंगे, बल्कि उनकी तह तक जाकर समाधान भी खोजेंगे। आज हर कोई मशगूल है, अपनी बात कहने में... ख़ुद की चर्चा करने में। हम अपनी तो कहेंगे, आपकी भी सुनेंगे... साथ मिलकर।
यहां एक समन्वित कोशिश की गई है, सवालों को उठाने की... मुद्दों की पड़ताल करने की। इस कोशिश में साथ है तमाम पत्रकार साथी... उम्मीद है यहां होने वाला हर विमर्श बेहद ईमानदार, जवाबदेह और तथ्यपरक होगा। हम लगातार सोचते हैं, लगातार लिखते हैं और लगातार कहते हैं... सोचिए, अगर ये सब मिलकर हो तो कितना बेहतर होगा। बिल्कुल यही सोच है, 'सवाल आपका है' के सृजन के पीछे। सुबह से शाम तक हम जाने कितने चेहरों को पढ़ते हैं, कितनी तस्वीरों को गढ़ते हैं, कितने लोगों से रूबरू होते हैं ? लगता है याद नहीं आ रहा ? याद कीजिए, मुद्दों की पड़ताल कीजिए... इसलिए जुटे हैं हम यहां। आख़िर, सवाल आपका है।।
सवालों का लेखा जोखा
हम भी हैं साथ
- ABP News
- Adhinath
- Gaurav
- Madhu chaurasia, journalist
- Mediapatia
- Narendra Jijhontiya
- Rajesh Raj
- Shireesh C Mishra
- Sitanshu
- Unknown
- ज्योति सिंह
- निलेश
- निशांत बिसेन
- पुनीत पाठक
- प्रज्ञा
- प्रवीन कुमार गुप्ता
- बोलती खामोशी
- मन की बातें
- महेश मेवाड़ा
- राज किशोर झा
- राजीव कुमार
- शरदिंदु शेखर
- सवाल आपका है...
- हितेश व्यास
- 'मैं'
- abhishek
- ahsaas
- avinash
- dharmendra
- fursat ke pal
- khandarbar
- manish
- monika
- naveen singh
- news zee
- praveen
- ruya
- shailendra
- sourabh jain
- star jain
- swetachetna
- vikrant
महंगाई बढ़ने के फायदे
प्रस्तुतकर्ता
प्रज्ञा
on गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010
लेबल:
प्रज्ञा प्रसाद,
महंगाई
अब तक जहां भी देखा, पढ़ा और सुना... हर जगह महंगाई के नुकसान ही गिनाए गए... कितनी भाषणबाज़ी, बंद और सियासत भी हो गई इस पर... लेकिन जिस तरह से हर सिक्के के दो पहलू होते हैं... इसके भी हैं... इसलिए आज मैं फोकस करुंगी इससे होने वाले फायदे पर... जिनपर संभवतः अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है....महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा फ़ायदा तो ये है कि लड़कियों और महिलाओं को बांधकर रखने वाला समाज अब थोड़ा उदार हो गया है... पुरुष भी जो पहले अपने अहम के मारे होते थे... अब इसे साइड में रखकर चल रहे हैं... पहले पुरुष सोचता था... जब मैं कमा ही रहा हूं तो घर की औरत को कमाने के लिए बाहर निकलने की ज़रूरत ही क्या है... मैं क्या नामर्द हूं जो औरत की कमाई खाउंगा... औरत तो घर के कामकाज के लिए बनी है... लेकिन भला हो इस महंगाई का जिसने पुरुष को धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया है... अब उसे पता चल गया है कि अगर घर ठीक से चलाना है... सुख-सुविधा के साथ रहना है... बच्चों की अच्छी परवरिश करनी है तो दोनों को समान रूप से घर और बाहर हाथ बंटाना होगा... महंगाई ने स्त्री को खुद ही समानता का अधिकार दे दिया... जिस बात को पुरुषों को बरसों से समझाया जा रहा था कि स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं और उन्हें हर काम मिलकर करना चाहिए... वो महंगाई के कारण खुद ब खुद उनकी समझ में आ गई... अब तो बाकायदा लड़के कामकाजी लड़कियों की डिमांड कर रहे हैं...अब जब कामकाजी लड़कियों की डिमांड होगी तो दहेज तो अपने आप ही कम हो जाएगा... क्योंकि लड़के के परिवारवोलों को लगता है कि ये तो सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है... हर महीने तनख्वाह लाएगी... अब बताइए... महंगाई किस तरह से दहेज के खिलाफ भी अपना योगदान दे रही है... ऊपर से कमाने के कारण लड़की को समाज-परिवार में मान-सम्मान अलग... बोनस में... लड़की आत्मनिर्भर हुई वो अलग... और पति की सही मायनों में सहचरी भी हुई... और अब के लड़कों को भी अपनी पत्नी की प्रगति से खासी खुशी मिलती है... पैसों के लालच में नहीं बल्कि जेन्यूनली... उनकी मानसिकता भी बदल रही है... और वे चाहते हैं कि उनकी पत्नी भी किसी भी मायनों में उनसे कम न हो...महंगाई के कारण बेटा-बेटी में भेद करने वाले माता-पिता भी आजकल लड़कियों की पढ़ाई के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं... और युवा से लेकर पैरेंट्स तक का रुझान करियर ओरिएंटेड कोर्सेस में पढ़ रहा है... जबकि पहले आर्ट्स सब्जेक्ट ही लड़कियों को थमा दिया जाता था... या बहुत से बहुत किसी तरह बीए करवाकर मां-बाप अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते थे... या सिलाई-कढ़ाई जैसी चीजें सिखाकर ससुराल भेज देते थे...अब भआरतीय अर्थव्यवस्था में स्त्री-पुरुष बराबर का योगदान कर रहे हैं... और हमारी अर्थव्यवस्था और हमारा देश सही मायनों में महाशक्ति बनकर उभर रहा है... लड़कियों के आत्मनिर्भर होने के कारण अब परिवार भी ज्यादा संपन्न हो रहा है... इससे ये भी फ़ायदा हो रहा है कि वे अपना मनपसंद जीवनसाथी भी चुन रही हैं... और समाज उनकी पसंद पर मुहर भी लगा रहा है... वे यूं ही अत्याचार नहीं सह रहीं... बल्कि उनमें अब परिस्थितियों से लड़ने का साहस भी आ गया है... और आपने गौर किया होगा कि महंगाई बढ़ रही है लेकिन उसके साथ ही परचेज़िंग पावर में भी गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ है....तो जब महंगाई के इतने फ़ायदे हैं तो भला हो इस महंगाई का................
तारीख़
Share it
हम साथ साथ हैं
हमराही
Labels
- 2 जनवरी 2011 (1)
- 23 दिसंबर 2011 (1)
- 25 अप्रैल 2011 (1)
- अन्ना (1)
- अपनी खुशी पर भी दें ध्यान (1)
- अबला या सबला? (1)
- अभिषेक मनु सिंघवी (1)
- अर्थ (1)
- आंदोलन (1)
- आखिर कब तक ? (1)
- इडियट (1)
- इस्तीफा (1)
- उदासीनता (1)
- एक पल अनोखा सा (1)
- औरत (1)
- कविता (1)
- कांग्रेस (2)
- कैसे बचाएं लड़कियों को ? (1)
- खसरा (1)
- गरीबी (1)
- गांव (1)
- गीतिका (1)
- गोपाल कांडा (1)
- चिराग पासवान (1)
- छत्तीसगढ़ (1)
- जिंदगीं खतरे में (1)
- जी न्यूज (1)
- जीत (1)
- जीत अस्तित्व की (1)
- ज्योति सिंह (1)
- टीका (1)
- ट्रेन (1)
- डिंपल यादव (1)
- तीर (1)
- दीपावली की शुभकामनाएं (1)
- देश (1)
- नक्शा (1)
- नक्सली (2)
- नरेंद्र जिझौंतिया (3)
- नरेंद्र तोमर का स्वागत गोलियों से (1)
- नारी शक्ति (1)
- निशांत (3)
- नीतीश कुमार (1)
- पंडा (1)
- प्यार या सौदेबाजी (1)
- प्रज्ञा प्रसाद (8)
- फना (1)
- फिल्म (2)
- फेरबदल (1)
- बंगला (1)
- बच्चे (1)
- बसपा (1)
- बापू (1)
- बाल नक्सली (1)
- बिहार (2)
- बॉलीवुड (1)
- भंवरी (1)
- भगदड़ (1)
- भाजपा (3)
- भारत (1)
- भूख (1)
- मंत्रिमंडल (1)
- मक़सूद (4)
- मजबूरी (1)
- मदेरणा (1)
- मधु (1)
- मधु चौरसिया (3)
- मनमोहन सिंह (2)
- ममता बनर्जी (1)
- महंगाई (1)
- महिला (1)
- मां तुमसा कोई नहीं (1)
- मायावती (2)
- मुन्नी (1)
- मूर्ति (1)
- मेरे दिल से (2)
- मॉडल (1)
- मोहन दास करमचंद गांधी (1)
- मोहब्बत (1)
- यश चोपड़ा (1)
- यादें (2)
- युवा पीढ़ी (1)
- ये कैसा रिश्ता ? (1)
- ये कैसी प्यास? (1)
- रंजीत कुमार (1)
- राज किशोर झा (1)
- राजनीति (11)
- राजीव (1)
- राजीव कुमार (7)
- राजेश खन्ना (1)
- राहुल (1)
- राहुल महाजन की शादी (1)
- रेल बजट (2)
- रेलवे (1)
- रॉ वन (1)
- रोमल (6)
- रोमल भावसार (1)
- लब (1)
- लाशों (1)
- लिव इन रिलेशनशिप (1)
- विचार (1)
- विजय दिवस (1)
- विदाई (1)
- विधायक (1)
- वैक्युम (1)
- व्यंग्य (1)
- शर्म (1)
- शहीद (1)
- श्रद्धांजलि (2)
- संसद हमला (1)
- सच (1)
- समाज (2)
- सवाल संस्कृति का है (1)
- साज़िश (1)
- सानिया (1)
- सियासत (1)
- सीडी (1)
- सीधी बात (6)
- सुषमा स्वराज (1)
- सुसाइड (1)
- सेक्स (1)
- सेना (1)
- सेना और खत (1)
- सोनिया (1)
- स्ट्रॉस (1)
- हेडली (1)
- chirag (1)
- cycle (1)
- father (1)
- hitesh (1)
- ICC Worldcup (1)
- manish (1)
- nitish (1)
- Ponting (1)
- Sachin (1)
- www.fifthangle.com (1)
2 टिप्पणियाँ:
बहुत खूब, एक नया नज़रिया
टिपिकल महिला मानसिकता !!!
एक टिप्पणी भेजें