
आ रहा था कि आखिर लाल चौक ही क्यों...क्या कश्मीर सिर्फ उमर अब्दुला और अनुराग ठाकुर है हमारा नहीं....क्या इस मामले को बढ़ने से पहले रोका जा सकता था या अब भी क्या ऐसा हो सकता कि मामला ज्यादा बढ़े इससे पहले इसे शांत कर दिया जाए..ऐसा नहीं है कि ये पहली बार है जब भाजपा लाल चौक में तिरंगा फहराने जा रही हो इससे पहले 1991 में कन्याकुमारी से मुरली मनोहर जोशी ने एकता यात्रा निकाली थी और लालचौक में झंडा फहराया था...उस समय क्या हुआ था सब जानते हैं कि किस कई जगहों से आतंकियों ने गोलियां चलाई था यहीं नहीं एक रॉकेट मुरली मनोहर जोशी के पास तक आकर गिरा था..शुक्र है कि उस समय कुछ अनहोनी नहीं हुई...पर जरा सोचिए आज लाखों भाजपा कार्यकर्ता श्रीनगर जाने पर उतारू हैं ऐसे में मान लो अगर आतंकी किसी
बड़ी वारदात को अंजाम दे देते हैं और देश फिर एक बार दंगों की आग में झुलस जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा...एक किस्सा मैं आपको और याद दिलाना चाहूंगा सन् 2002 का जब आयोध्या से कारसेवा करके लौट रहे मासूमों को गोधरा में जलाकर मार डाला गया..और उसके बाद
गुजरात में क्या हुआ सबको पता है....उस समय भी हालात कुछ ऐसे ही थे कि एक आवाज में लाखों लोग अयोध्या की तरफ कूच कर गए और लौटते समय दहशतगर्दों का निशाना बन गए...अगर आतंकी फिर किसी ऐसी कायराना करतूत को अंजाम दे देते है तो कौन लेगा जिम्मेदारी....निश्चित ही श्रीनगर भारत का हिस्सा है वहां तिरंगा जरूर फहराना चाहिए और हर राष्ट्रीय त्योहार पर फहराना चाहिए पर क्या जो तरीका भाजपा ने अपनाया वो ठीक है...और क्या उमर अब्दुला को थोड़ी भी शर्म नहीं आती जो ये कहते हैं कि लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराने दिया जाएगा इससे सूबे का माहौल बिगड़ेगा....मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना
है कि चोर-चोर मौसेरे भाई...चाहे वो भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर हो जो सिर्फ राजनीति कर रहे है चाहे उमर अब्दुला जिन्हे मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है और कुर्सी के लिए काम कर रहे है..क्या ऐसा नहीं हो सकता था कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर घोषणा करते के वो अपने कुछ साथियों के साथ जाएंगे और लालचौक में तिरंगा फहराएंगे..
और इसके जवाब में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला कहते आइए 10-15 लोगों के साथ आपका स्वागत फूल मालाओं से होगा और साथ वो भी जाएंगे.... शान से तिरंगा फहराया जाता श्रीनगर के लाल चौक पर उमर साहब भी होते और भाजपा के 15-20 वरिष्ट नेता भी होते...
साथ ही पूरा देश टीवी पर लाइव देखता तिरंगे को लालचौक पर शान से फहरते हुए और सलाम करता इस देख की एकता को...साथ ही हम शान से बोलते की कश्मीर हमारा है न उमर का है और अनुराग का ये कश्मीर देश का है....पर अगर ऐसा होता तो न तो अनुराग ठाकुर का राजनीति रोटियां सिक पाती और न उमर की....इस लिए पूरे देश में ये तमाशा हो रहा है....भगवान न करे पर लाखों लोग जा रहे हैं श्रीनगर अगर कहीं भी कोई अनहोनी हो गई तो देश में मुश्किल हो जाएंगा फिर से सुलगी लपटों को बुझाना....अभी भी समय है ऊपर वाला भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को अकल दे और मामला यहीं शांत हो जाए.....क्या प्रधानमंत्री साहब और भाजपा के अध्यक्ष
गडकरी को अपनी जिद छोड़कर कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए कि ये लाखों लोग जान हथेली पर लेकर आगे न बढ़े..क्यों कि महंगाई,भ्रष्टाचार समेत कई समस्याओं को झेल रहे इस देश को एक और आग से बचाया जा सके... नहीं तो इंतजार करते हैं औऱ देखते हैं क्या होने वाला है 26 जनवरी को...पर मैं तो सिर्फ इतना कहूंगा कश्मीर न तो उमर अब्दुला का और न अनुराग ठाकुर ये मेरा है...आपका है और इस देश के हर नागरिक का है
रोमल भावसार
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