संकट में लाड़ली


एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार बेटियों को बचाने और लाडलियों को लक्ष्मी बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। बेटियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना लागू है। लेकिन अब यही लाडलियां संकट में आ गई हैं। हालात ये हैं कि गांव हो या कस्बा, शहर बड़ा हो या छोटा, इलाका आबाद हो या सुनसान... लाडलियां हर जगह बदमाशों के निशानों पर हैं। जी हां ये हकीकत केवल हमारी जुबानी नहीं, बल्कि हैवानियत की उन तमाम कहानियों से भी बयां होती हैं, जिन्होंने हर खास और आम को झकझोर कर रख दिया है। हालात ये हैं कि अब तो प्रदेश की राजधानी में भी लाड़लियां महफूज नहीं रह गईं हैं। भोपाल के अरेरा कॉलोनी में भी परिचित बनकर दगा देने वाले मुस्तफा ने भी कुछ ऐसा ही किया। मुस्तफा ने अपने साथी के साथ मिलकर 10 वीं की छात्रा का पहले तो अपरहण किया, फिर उसे दरिंदगी का शिकार बनाया और फिर हत्या तक कर डाली। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसने लाड़लियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
28 सितंबर 2012, इंदौर में 6 साल की मासूम की दर्दनाक मौत, सौतेले मां-बाप ने दीवार पर फेंककर की हत्या... 21 सितंबर 2012, जबलपुर में छात्रा का MMS, अश्लील सीडी बनाकर ब्लैकमेल करने का मामला... 18 फरवरी 2012, इंदौर में दो युवतियों से गैंगरेप, अश्लील MMS बनाकर किया सार्वजनिक
ये तो महज वो मामले हैं जो ताजा है और लोगों के जेहन में जिंदा भी है। अगर आंकड़ों की बात करें तो मध्य प्रदेश में एक जनवरी 2012 से 20 जून 2012 तक यानी 170 दिनों में कुल 1,687 महिलाओं की आबरू तार-तार हुई। जिनमें 858 नाबालिग हैं, यानी हर दिन 5 लाडलियों को प्रदेश में कहीं-न-कहीं ज्यादती का शिकार होना पड़ रहा है।
प्रदेश के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में जो जानकारी दी, ये आंकडे उन्हीं की बानगी है। इतना ही नहीं NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश में साल 2011 में बलात्कार के कुल 24,206 मामले सामने आए। और यहां भी बलात्कार के मामलों में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहा। जहां 1,262 मामले दर्ज हुए। बहरहाल इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में लाड़लियां कितनी सुरक्षित हैं। ये आंकड़े किसी भी सभ्य समाज के लिए चिंता की बात भी हैं और गुस्से की वजह भी। महेश मेवाड़ा पत्रकार

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें