आज महान गायक मोहम्मद रफी साहब की जंयती है। रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1924 को हुआ था। साल 1940 से इस फनकार ने गायिकी की दुनिया में कदम रखा और 1980 तक करीब 26 हजार गीतों को अपनी आवाज दी। आज पूरा देश इस महान फनकार को याद कर रहा है। रफी साहब ने बॉलीवुड में हर तरह के गाने गाए। मदमस्त आवाज वाले इस फनकार को दुनिया मोहम्मद रफी और शहंशाह ए तरन्नुम के नाम से जानती है। साल 1960 में रफी साहब को बेमिसाल गायिकी के लिए पहला फिल्म फेयर अवार्ड मिला। इसके बाद 1961 में दूसरा और फिल्म दोस्ती के लिए 1965 में तीसरा फिल्म फेयर अवार्ड मिला। फिर 1966 में फिल्म सूरज के लिए चौथा और 1968 में फिल्म ब्रह्मचारी के लिए पांचवा फिल्म फेयर अवार्ड मिला। ये महान कलाकार आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर इनकी आवाज हमेशा हमारे बीच गूंजती रहेगी। शायद इसीलिए हम कहते हैं न फनकार तुझसा तेरे बाद आया,मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया।
समय
कुछ अपनी...
इस ब्लॉग के ज़रिए हम तमाम पत्रकारों ने मिलकर एक ऐसा मंच तैयार करने की कोशिश की है, जो एक सोच... एक विचारधारा... एक नज़रिए का बिंब है। एक ऐसा मंच, जहां ना केवल आवाज़ मुखर होगी, बल्कि कइयों की आवाज़ भी बनेंगे हम। हम ना केवल मुद्दे तलाशेंगे, बल्कि उनकी तह तक जाकर समाधान भी खोजेंगे। आज हर कोई मशगूल है, अपनी बात कहने में... ख़ुद की चर्चा करने में। हम अपनी तो कहेंगे, आपकी भी सुनेंगे... साथ मिलकर।
यहां एक समन्वित कोशिश की गई है, सवालों को उठाने की... मुद्दों की पड़ताल करने की। इस कोशिश में साथ है तमाम पत्रकार साथी... उम्मीद है यहां होने वाला हर विमर्श बेहद ईमानदार, जवाबदेह और तथ्यपरक होगा। हम लगातार सोचते हैं, लगातार लिखते हैं और लगातार कहते हैं... सोचिए, अगर ये सब मिलकर हो तो कितना बेहतर होगा। बिल्कुल यही सोच है, 'सवाल आपका है' के सृजन के पीछे। सुबह से शाम तक हम जाने कितने चेहरों को पढ़ते हैं, कितनी तस्वीरों को गढ़ते हैं, कितने लोगों से रूबरू होते हैं ? लगता है याद नहीं आ रहा ? याद कीजिए, मुद्दों की पड़ताल कीजिए... इसलिए जुटे हैं हम यहां। आख़िर, सवाल आपका है।।
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चैंपियन 'ईयर' 2011
प्रस्तुतकर्ता
Narendra Jijhontiya
on शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011
लेबल:
23 दिसंबर 2011,
नरेंद्र जिझौंतिया
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मैं हूं साल 2011.....मैं वो साल हूं जो घड़ी की सुइयों के चंद सफर के साथ ही इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए समा जाउंगा.....लेकिन जाने से पहले मैं आपको अपने एक साल की पूरी दास्तां सुनाना चाहता हूं.....वो दास्तां जो मेरे साथ तो हमेशा ही रहेगी....लेकिन जिसे आप भी अपने जहन में हमेशा के लिए बसा लेंगे.....तो दोस्तों शुरू करता हूं मैं अपना सफर....ठीक एक साल पहले, जब साल 2010 जाने वाला था और मैं दस्तक देने वाला था....तो मैं काफी खुश हुआ....क्योंकि मेरा सफर जब शुरू हुआ, तो टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर थी....टीम इंडिया के लिए प्रोटीज दौरा कभी भी आसान नहीं रहा.....लेकिन इस बार की बात कुछ और ही थी....टीम इंडिया, प्रोटीजों की जमीं पर ऐसे खेली....जिसे देखकर हर कोई दंग रह गया....हालांकि एक बार फिर उसके हाथ जीत नहीं आई....लेकिन उसने मेजबानों को भी जीत से महरुम कर दिया.....और टीम इंडिया के इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही टेस्ट सीरीज ड्रॉ हो गई....टीम इंडिया के इस प्रदर्शन को देख मेरा चेहरा भी खुशी से दमक उठा....लेकिन टेस्ट सीरीज के साथ ही टीम इंडिया के सामने दूसरी चुनौती तैयार थी.....और वो चुनौती थी प्रोटीजों के साथ वनडे सीरीज की....और टीम इंडिया के लिए वनडे सीरीज का सफर हार के साथ शुरू हुआ....टीम की हार को देखकर मैं थोड़ा सा घबरा गया....लेकिन भारतीय टीम ने दूसरे और तीसरे वनडे को जीत मेरे चेहरे की चमक लौटा दी....मैं इस बात को सोचकर खुश हो रहा था, कि वनडे सीरीज की जीत का सेहरा टीम इंडिया के सर बंधने वाला था.....लेकिन टीम इंडिया ने चौथा और पांचवां वनडे हारकर मेरा सपना तोड़ दिया....लेकिन टीम ने प्रोटीज दौर पर जैसा खेल दिखाया, उससे मुझे टीम इंडिया का आने वाले कल का सुनहरा दिखाई देने लगा....क्योंकि इस दौरे के बाद जैसे टीम इंडिया अपनी जमीं पर पहुंची....शुरू हो गया क्रिकेट का सबसे बड़ा कुंभ....जी हां वो महाकुंभ जिसे आप सभी क्रिकेट वर्ल्ड कप के नाम से जानते हैं.....और इस महाकुंभ की शुरुआत हुई भारत और बांग्लादेश के मैच के साथ....अपने पहले ही लीग मुकाबले में टीम इंडिया ने बांग्लादेशी टीम को चारों खाने चित करते हुए....इस महाकुंभ में शानदार आगाज किया.....टीम इंडिया के आगाज को देख इसमें शामिल होने वाली सभी टीमें घबरा गईं....वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के सामने दूसरी चुनौती थी फिरंगी टीम की....और इन दोनों टीमों के बीच क्रिकेट का ऐसा रोमांचक मैच हुआ....कि मैदान पर बैठे हर दर्शक की सांसे थम गई और मैच टाई हो गया....मैं टीम इंडिया से थोड़ा सा नाराज हो गया, क्योंकि उसने हाथ में आया मौका गवां दिया....एक बार फिर मैं अपनी रफ्तार से आगे बढ़ा....और टीम इंडिया को लेकर पहुंच गया लीग मुकाबलों के आखिरी पड़ाव पर.....जहां उसका आखिरी लीग मैच में मुकाबला हुआ वेस्टइंडीज से.....और एक बार फिर टीम इंडिया ने अपने पराक्रम से कैरेबियाई टीम के होश उड़ा दिए....और इस शानदार जीत के साथ उसने वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइलन में अपनी बर्थ बुक कर ली.....टीम इंडिया के क्वार्टर फाइनल में जाने से मैं काफी खुश था....और उससे ज्यादा खुशी इस बात से हो रही थी....कि क्वार्टर फाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होगा....उस ऑस्ट्रेलिया से जिससे टीम इंडिया को वर्ल्ड कप में अपने पिछले कई पुराने हिसाब चुकता करने थे....और फिर आया वो मंजर जब ये दोनों टीमें आमने-सामने आईं....और टीम इंडिया ने कंगारुओं से अपने सारे पुराने हिसाब चुकता करते हुए, उसकी वर्ल्ड कप से विदाई कर सेमीफाइनल में जगह बना ली....टीम इंडिया की इस जीत से मेरे चेहरा खुशी से दमक उठा....क्योंकि सेमीफाइनल में उसका मुकाबला पाकिस्तान से होने वाला था....वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में जब भारत-पाकिस्तान की टीमें एक-दूसरे को चुनौती देने के लिए उतरी....तो दोनों टीमों के लिए ये मुकाबला ही वर्ल्ड कप का फाइनल हो गया....इस हाईवोल्टेज मुकाबले में टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 260 रनो का स्कोर बनाया....पाकिस्तान ने टीम इंडिया को पटखनी देने के लिए दमदार शुरुआत की....लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा, पाकिस्तान ने अपने घुटने टेकना शुरू कर दिया....और टीम इंडिया, पाकिस्तान को पटखनी देकर 28 साल बाद अपने सपने को साकार करने के और करीब पहुंच गई....टीम इंडिया के लिए ये पहला मौका था जब वो अपनी जमीं पर क्रिकेट के कुंभ के फाइनल मुकाबले में डुबकी लगाने को पहुंची थी....श्रीलंका के साथ होने वाले इस महामुकाबले के लिए मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम के साथ सैकड़ों खेलप्रमी टीम इंडिया को चैंपियन बनाने के लिए पूरी तरह तैयार थे....और मैं उस पल को सोचकर रोमांचित हो रहा था, जो मैं पहले ही देख चुका था....इस महामुकाबले में श्रीलंकाई टीम ने महेला जयवर्द्धने के शतक के साथ टीम इंडिया को 275 रनों की चुनौती दी....और इस लक्ष्य का पीछा करत हुए टीम इंडिया जैसे ही सहवाग और सचिन आउट हुए....टीम इंडिया का 28 साल बाद चैंपियन बनने का सपना फिर से धुंधला होने लगा....लेकिन चैंपियन बनने का ये मौका इस बार हाथ से निकल जाता.....तो दोबारा न जाने कब मिलता....और टीम के धुंधले होते इस सपने को मैदान पर फिर से संजोने का काम किया गौतम गंभीर और विराट कोहली की जोड़ी ने....लेकिन जैसे ही विराट कोहली का विकेट गिरा, लंकाई टीम फिर से फ्रंट फुट पर आ गई.....ऐसे में कप्तान धोनी मैदान पर आए, और उन्होंने मैदान पर खेली चमत्कारी पारी.....एक ऐसी पारी जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज हो गई....और धोनी के बल्ले से जैसे ही चमत्कारी छक्का निकला....मैं कुछ देर के लिए वहीं थम गया....क्योंकि टीम इंडिया के जश्न को जो नजारा मैं मैदान पर देख रहा था, वो पूरे 28 सालों के बाद आया था.....टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप की ट्रॉफी के साथ जमकर जश्न मनाया.....और उसके इस जश्न में में भी शरीक हो गया....अब मैं खुद पर इस बात से इतरा रहा था, कि मैं ही वो साल 2011 हूं....जिसमें टीम इंडिया दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनीं....टीम इंडिया अब वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी थी....उसने क्रिकेट बिरादरी में अपनी ताकत साबित कर दी थी....और अपनी इसी ताकत का प्रदर्शन करने टीम इंडिया ने कैरेबियाई जमीं पर जून के महीने में कदम रखा....और उसने मेजबान वेस्टइंडीज के साथ सबसे पहले 5 वनडे मैचों की सीरीज खेली....और 5 मैचों की सीरीज के पहले 3 मैच जीतकर सीरीज अपने नाम कर ली....लेकिन अगले दोनों मुकाबलों में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा....इसके बाद टीम इंडिया को मेजबानों से टेस्ट सीरीज में दो-दो हाथ करने थे....और टीम इंडिया ने सीरीज 1-0 के अंतर से जीत, टेस्ट सीरीज भी अपने नाम कर ली....क्रिकेट वर्ल्ड कप और फिर वेस्टइंडीज का दौरा करने के बाद टीम इंडिया पूरी तरह थक चुकी थी....लेकिन उसकी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई थी....क्योंकि उसके सामने अब सबसे बड़ी चुनौती, यानि इंग्लैंड का दौरा था.....मैं टीम इंडिया के इस दौरे को लेकर छोड़ा घबरा गया....क्योंकि थके हारे खिलाड़ियों के देख मुझे खिलाड़ियों में आत्मविश्वास की कमी साफ दिखाई दे रही थी और हुआ भी कुछ ऐसा ही....टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा जुलाई महीने में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान से ऐतिहासक दो हजारवें टेस्ट की चुनौती के साथ शुरू हुआ....और पहले ही टेस्ट में टीम इंडिया के नसीब में शर्मनाक हार तो आई ही....इस टेस्ट से टीम के खिलाड़ियों का चोटिल होना भी शुरू हो गया....टेस्ट के ताज पर राज करने वाली टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था....उसकी टेस्ट बादशाहत पर बट्टा लगता जा रहा था....टीम इंडिया को लॉर्ड्स के बाद नॉटिंघम, बर्मिंघम और ओवल में भी हार का सामना करना पड़ा....जो टीम इंग्लैंड दौरे से पहले टेस्ट की बादशाह थी....वो अब टेस्ट रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गई....टीम इंडिया की ये हालत मुझसे देखी नहीं गई.....लेकिन मैं भी मजबूर था, शायद मुझे टीम इंडिया की अभी और हार देखना थीं....क्योंकि टेस्ट के बाद जब वनडे सीरीज का संग्राम शुरू हुआ....तो टेस्ट मैचों के हार की तरह वनडे में भी उसकी हार का सफर जारी रहा....इंग्लैंड ने उसे 5 वनडे मैचों की सीरीज में 3-0 से मात दे दी....वहीं एक मैच टाई और एक का परिणाम नहीं निकल सका....इतना ही नहीं एकमात्र टी-20 मुकाबले में भी मेजबानों ने टीम इंडिया के नसीब में हार लिख दी....वर्ल्ड चैंपियनों की इस हालत को देख मेरी आंखें भी नम हो गईं....टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे से सबकुछ लुटाकर घर वापस लौट आई.....टीम की इस हार पर कई सवाल खड़े हो गए....जिसका जवाब किसी के पास नहीं था.....किसी ने इसे टीम इंडिया का लचर प्रदर्शन कहा....तो किसी ने कहा कि, धोनी की किस्मत उनसे रूठ गई....टीम इंडिया सवालों के समंदर में चौतरफा घिर चुकी थी....और अब उसे इंतजार था इंग्लैंड के भारतीय दौरे का.....क्योंकि वो इंग्लैंड को अपनी जमीं पर हराकर ही, आलोचकों के मुंह पर ताला लगा सकती थी....और फिर आया वो दिन, जब फिरंगी टीम अपने लाव-लश्कर के साथ भारतीय जमीं पर अक्टूबर महीने में कदम रखा....इधर टीम इंडिया को इंग्लैंड दौरे पर मिली हार का जख्म अब नासूर बन चुका था....ऐसे में ये जख्म को सिर्फ इंग्लैंड की हार से ही भर सकता था....और इस जख्म को भरने के लिए टीम इंडिया ने फिरंगियों के खिलाफ अपना मिशन लगान शुरू किया....और लगान के मिशन की शुरुआत हुई हैदराबाद वनडे के साथ.....अपने पहले ही मैच में टीम इंडिया ने फिरंगियों को बुरी तरह पीट दिया....अंग्रेजों की हार को देख मेरा मुरझाया चेहरा फिर से खिल उठा....साथ ही टीम इंडिया के खिलाड़ियों का खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से लौट आया....और टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसी के अंदाज में हराते हुए दिल्ली, मोहाली, मुंबई और कोलकाता वनडे से सूपड़ा साफ कर दिया....इंग्लिश टीम जहां अपनी हार से हैरान थी....तो माही के मतवाले फिर से मस्त हो चुके थे....हालांकि इंग्लैंड ने टी-20 मैच में भारत को हराकर अपनी लाज बचा ली....टीम इंडिया एक बार फिर से विनिंग ट्रैक पर लौट चुकी थी....टीम की इस धमाकेदार जीत को देख मैं खुशी के समंदर में डुबकी मारने लगा....इसी बीच यानि नवंबर में वेस्टइंडीज ने 5 वनडे मैचों की सीरीज के लिए भारतीय जमीं पर कदम रखा....वेस्टइंडीज के खिलाफ धोनी ने बोर्ड से आराम मांग लिया....और टीम इंडिया की कमान वीरेंद्र सहवाग को सौंप दी गई.....विंडीज ने भारतीय दौरे पर अपना पहला मुकाबला कटक के बाराबती स्टेडियम पर खेला....और इस रोमांचक मुकाबले में टीम इंडिया ने 1 विकेट से जीत दर्ज कर ली....टीम इंडिया ने विशाखापट्टनम वनडे में भी मेहमानों को मात दे दी.....लेकिन तीसरे वनडे में उसने टीम इंडिया को हाराकर सीरीज में पहली जीत दर्ज की....इसके बाद दोनों टीमें पहुंची इंदौर के होलकर स्टेडियम....और यहां पर जो हुआ किसी चमत्कार से कम न था....क्योंकि टीम इंडिया के कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने 219 रनों की पारी खेल नया इतिहास रच दिया....वनडे क्रिकेट में ये वो पारी थी, जिसने भारतीय क्रिकेट की डिक्सनरी में एक नया अध्याय जोड़ दिया....और मुझे टीम इंडिया ने जाने से पहले एक नई सौगात दे दी....अब टीम इंडिया का दिसंबर से ऑस्ट्रेलियाई दौरा शुरू हुआ....लेकिन इस दौरे का परिणाम आखिर साल 2012 में आना है.....इसलिए टीम इंडिया के इस दौरे की अधूरी दास्तान साल 2012 सुनाएगा.....अच्छा दोस्तों अब मेरे जाने के वक्त हो गया....समय का पहिया यूं तो मुझे कभी वापस नहीं ला सकेगा....लेकिन आप जब भी क्रिकेट की डिक्सनरी में साल 2011 को देखेंगे....तो मुझे हमेशा अपने सामने पाएंगे।
उधार की जिंदगी
13 दिसंबर 2001 का दिन हम कभी भूल नहीं सकते,क्योंकि ये वो काली तारीख है,जब पांच आतंकियों ने हमारे लोकतंत्र के मंदिर पर हमला किया और AK- 47 की गोलियों से हमारे सीने पर ऐसा जख्म दिया,जो आज तक ताजा है। हमले में हमने अपने 9 वीर सपूतों को खो दिया। शहीदों ने पांचों आतंकियों को मौत के घाट तो उतारा ही साथ ही साथ संसद भवन में उस वक्त मौजूद करीब दौ सौ से ज्यादा सांसदों को बचाया। पुलिस की तत्परता के चलते एक साल के भीतर ही हमले में शामिल एक मास्टर माइंड अफजल गुरू पकड़ा गया,लेकिन अफसोस की शहीदों ने जान की बाजी लगाकर जिन सांसदों को बचाया,वही सांसदों की जमात वोट बैंक के जाल में अफजल की फांसी को ऐसे उलझाया कि, फंदे की फाइल दिल्ली सरकार,गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन की गलियों में भटक रहा है। ये तो थी हमले की कहानी,अब आते हैं असल मुद्दे पर,13 दिसंबर को टीवी खोला तो देखा कि,हमारे ज्यादातर सांसद संसद भवन परिसर में हमले में शहीद जाबांजों को श्रद्धांजलि दे रहे थे। पर श्रद्धांजलि देते वक्त मैंने देखा कि,सभी सांसद प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाने का ढोंग कर रहे थे। उनके आव-भाव से नहीं लगा कि,उनके दिल में शहीदों के लिए कोई इज्जत है। एकाध सांसदों को छोड़ सभी सफेदपोश हंसकर पुष्प अर्पित कर रहे थे। उस दृश्य को देख मैं काफी गुस्से में आ गया। मुझे अफसोस हो रहा था कि,क्यों उन 9 घरों के चिरागों ने अपनी जान गंवाकर इन सफेदपोशों को बचाया। उन्होंने अपने फर्ज का निर्वहन तो अपनी अंतिम सांस तक किया,लेकिन हमारे नुमाइंदे तो उनकी शहादत को सलाम करने के लिए अपना फर्ज तक भूल गए। दुख होता है जब संसद हमले का जिक्र होता है। फक्र होता है वीर सपूतों की शहादत पर,लेकिन शर्म से उस वक्त पानी-पानी हो जाता हूं जब सफेदपोशों की बेहया वाली हरकतों को देखता हूं। आंखों में पानी भर आता है,जब टीवी चैनलों पर शहीदों की मां,विधवा और बच्चों की व्यथा सुनता हूं। 13 दिसंबर को एक टीवी चैनल पर एक शहीद की विधवा बता रही थी कि, सरकार की ओर से उन्हें पेट्रोल पंप देने का ऐलान किया गया। जब वो अपना हक लेने पहुंची तो उनसे रिश्वत मांगी गई। इन हालातों को देख सोचने पर मजबूर हो जाता हूं कि,वाकई सिस्टम इतना बेइमान और बेशर्म हो गया है। राहुल गांधी कहते हैं उन्हें यूपी की बदहाली देख गुस्सा आता है। लाल कृष्ण आडवाणी को पश्चिम मॉडल से नफरत है। ऐसे में इन दोनों को सांसदों का आचरण और अफजल गुरू को जेल में देख गुस्सा क्यों नहीं आता है,अगर इन मुद्दों पर इनका खून खौलता तो निश्चित तौर पर मैं कह सकता हूं कि,इनलोगों को गुस्सा वहीं आता है जहां वोट बैंक का मामला होता है। हमारे नुमाइंदे ये क्यों भूल जाते हैं कि,जिस जिंदगी को वो जी रहे हैं,वो उन शहीदों की देन है। कहा जाए तो वो सभी उधार की जिंदगी जी रहे हैं।
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